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RBI के नए नियम: अब क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाना होगा मुश्किल, PhonePe–Paytm ने बंद की सर्विस
मुंबई, 19 सितंबर 2025 – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है जिसने डिजिटल पेमेंट सेक्टर और किराए पर रहने वाले लाखों लोगों को सीधे प्रभावित किया है। क्रेडिट कार्ड के जरिए किराया भुगतान की लोकप्रिय सुविधा, जिसे PhonePe, Paytm, और CRED जैसे ऐप्स द्वारा संचालित किया जाता था, अब इतिहास बन चुकी है।
15 सितंबर 2025 को जारी नए सर्कुलर के तहत, भुगतान एग्रीगेटर (Payment Aggregators) और पेमेंट गेटवे केवल उन्हीं व्यापारियों (Merchants) के लिए पेमेंट प्रोसेस कर सकते हैं जिनके साथ उनका सीधा समझौता हो और जिन्होंने फुल KYC (Know Your Customer) पूरा कर लिया हो। इसका सीधा मतलब है कि सामान्य मकान मालिक, जो आधिकारिक रूप से व्यापारी के रूप में पंजीकृत नहीं हैं, अब क्रेडिट कार्ड भुगतान स्वीकार नहीं कर पाएंगे।
क्यों था यह पेमेंट तरीका इतना लोकप्रिय?
डिजिटल युग में लोग हर सुविधा को आसान और स्मार्ट तरीके से अपनाना चाहते हैं। क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाने के कई फायदे थे:
- रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक – उपयोगकर्ता हर किराया भुगतान पर बैंक रिवॉर्ड पॉइंट या कैशबैक का लाभ उठा सकते थे।
- ब्याज-मुक्त अवधि (Interest-Free Period) – यूजर्स को भुगतान करने के लिए 45–50 दिनों तक का समय मिल जाता था, जिससे कैश फ्लो बेहतर तरीके से मैनेज होता था।
- सुविधा और सुरक्षा – ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स पर कुछ ही क्लिक में किराया भुगतान करना बेहद आसान था।
यही कारण था कि युवा पेशेवर, कामकाजी लोग और बड़े शहरों में रहने वाले किराएदार इस सुविधा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे थे।
RBI ने क्यों लिया यह फैसला?
RBI ने इस सुविधा को जोखिम भरा (High-Risk) माना। असल में, जब किराया भुगतान क्रेडिट कार्ड से होता है और मकान मालिक आधिकारिक व्यापारी नहीं होता, तो यह लेनदेन बैंकिंग नियमों के दायरे से बाहर हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप:
- मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का खतरा
- कृत्रिम लेनदेन (Artificial Transactions)
- बढ़ता हुआ क्रेडिट रिस्क
इन जोखिमों को देखते हुए, RBI ने कड़े नियम बनाते हुए स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है जिनका सीधा करार और पूरा KYC है।
पहले से ही सख्त हो रही थी बैंकों की पॉलिसी
RBI के इस ताजा सर्कुलर से पहले कई बड़े बैंक इस दिशा में कदम बढ़ा चुके थे:
- HDFC बैंक ने जून 2024 में क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान पर 1% शुल्क लागू किया।
- ICICI बैंक और SBI कार्ड ने किराया भुगतान पर रिवॉर्ड पॉइंट देना बंद कर दिया।
- कई फिनटेक कंपनियों ने मार्च 2024 में ही यह सेवा अस्थायी रूप से रोक दी थी, लेकिन KYC जोड़ने के बाद इसे फिर से शुरू किया।
अब RBI के नए नियम के बाद यह सुविधा पूरी तरह बंद हो गई है।
किन लोगों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
- किराए पर रहने वाले पेशेवर:
मेट्रो सिटी और टियर-1 शहरों में रहने वाले युवा पेशेवर, जो हर महीने क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाकर कैश फ्लो मैनेज करते थे, उन्हें अब सीधा असर झेलना होगा। - फ्रीलांसर और बिज़नेस ओनर:
जो लोग अनियमित आय के कारण क्रेडिट कार्ड की ब्याज-मुक्त अवधि का लाभ लेते थे, उन्हें अब पारंपरिक तरीकों जैसे बैंक ट्रांसफर, चेक, या UPI का इस्तेमाल करना पड़ेगा। - मकान मालिक:
छोटे और व्यक्तिगत मकान मालिक, जिनके पास व्यापारी के तौर पर रजिस्ट्रेशन नहीं है, अब सीधे क्रेडिट कार्ड पेमेंट स्वीकार नहीं कर पाएंगे।
अब किराया चुकाने के नए तरीके
हालांकि क्रेडिट कार्ड का रास्ता बंद हो गया है, लेकिन अभी भी किराया चुकाने के कई आसान और सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं:
- UPI (Unified Payments Interface)
- नेट बैंकिंग (NEFT/RTGS/IMPS)
- डेबिट कार्ड पेमेंट
- ऑटो-डेबिट या स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन
ये सभी तरीके तुरंत भुगतान की सुविधा देते हैं और RBI द्वारा अनुमोदित हैं।
फिनटेक सेक्टर पर प्रभाव
यह फैसला सिर्फ किराएदारों को नहीं, बल्कि फिनटेक कंपनियों को भी प्रभावित करेगा। PhonePe, Paytm, और CRED जैसी कंपनियां अब इस सेवा से होने वाली भारी ट्रांजेक्शन फीस और नए यूजर्स को खो देंगी।
- राजस्व में गिरावट: हर महीने करोड़ों रुपए के किराया लेनदेन अब बंद हो जाएंगे।
- यूजर एंगेजमेंट पर असर: जो यूजर्स केवल किराया भुगतान के लिए इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करते थे, वे अब इन ऐप्स से दूर हो सकते हैं।
निष्कर्ष
RBI का यह कदम भारतीय डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। हालांकि इससे लाखों किराएदारों की सुविधा कम होगी और फिनटेक कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ेगा, लेकिन लंबे समय में यह निर्णय बैंकिंग सेक्टर की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा। अब किराएदारों और मकान मालिकों को नए विकल्प अपनाने होंगे और फिनटेक कंपनियों को भी अपने बिज़नेस मॉडल में बदलाव लाना होगा।